बोर्ड रिजल्ट के तनाव से फ्री होंगे स्टूडेंट्स: माशिमं जारी करेगा हेल्पलाइन नंबर, काउंसलर करेंगे समस्याओं का हल

बोर्ड रिजल्ट के तनाव से फ्री होंगे स्टूडेंट्स: माशिमं जारी करेगा हेल्पलाइन नंबर, काउंसलर करेंगे समस्याओं का हल

रायपुर।छत्तीसगढ़ में आने वाले दिनों में 10वीं और 12वीं बोर्ड परीक्षाओं के परिणाम घोषित हो सकती है। परिणाम आने से पहले छात्र- छात्राएं तनाव में रहते हैं। तनाव की वजह से गलत कदम भी उठाने की आशंका बढ़ जाती है। परीक्षा परिणाम ने तनाव दूर करने छत्तीसगढ़ माध्यमिक शिक्षा मंडल ने टोल फ्री नंबर 18002334363 जारी किया है। इस टोल फ्री नंबर पर कॉल कर छात्र छात्राएं मनोवैज्ञानिक चिकित्सकों और कैरियर सलाहकारों से बात कर तनाव मुक्त हो सकते हैं।

एक से 15 मई तक सुबह साढ़े 10 से शाम 5 बजे तक मानसिक स्वास्थ्य हेल्पलाइन टेलीमानस टोल फ्री नंबर 14416 पर चौबीस  घंटे सातों दिन संपर्क कर निःशुल्क परामर्श प्राप्त कर सकते हैं। छत्तीसगढ़ माध्यमिक शिक्षा मंडल की ओर से चिन्हांकित मनोवैज्ञानिक चिकित्सकों, कैरियर सलाहकार और एससीईआरटी के विशेष अकादमिक सहयोग से ऑनलाइन दक्षता विकास प्रशिक्षण का आयोजन 29 अप्रैल को दोपहर 12 बजे से किया जा रहा है। जिसका वेबलिंक विकासखंड शिक्षा अधिकारी, बीआरसीसी, छत्तीसगढ़ के माध्यम से सर्वसंबंधित शिक्षकों को भेजा जाएगा। 

इस संबंध में स्कूल शिक्षा विभाग के सचिव ने सभी समस्त कलेक्टर, समस्त जिला शिक्षा अधिकारी, विकासखंड शिक्षा अधिकारी, बीआरसीसी और सीआरसीसी को पत्र जारी कर आवश्यक कार्यवाही सुनिश्चित करने कहा है। पत्र में उल्लेख किया गया है कि परीक्षा परिणाम से उत्पन्न तनाव को दूर करने के लिए जनजागरण और सकारात्मक महौल, बच्चों और पालकों के मध्य लाया जाए। इससे पालक, बच्चों पर अनावश्यक दबाव न बनाएं और न ही नकारात्मक प्रतिक्रिया दी जाये। किसी भी प्रकार की अप्रिय स्थिति से निपटने के लिए सार्थक प्रयास किया जाए, इसके लिए यह बात विद्यार्थियों, माता-पिता तथा पालकों तक पहुंचाना है कि परीक्षा परिणाम आशा अनुरूप न होना, जीवन का कोई अंतिम परिणाम नहीं है। हमारे सम्मुख बहुत से ऐसे उदाहरण है, जिन्होंने शिक्षा के दौरान अच्छा प्रदर्शन नहीं किया है। जीवन में अत्यंत सफल रहे हैं और हमारे प्रेरणा-स्त्रोत रहे हैं। 

पत्र में यह भी उल्लेख किया गया है कि तनाव ग्रसित बच्चों में पहले से कुछ लक्षण दिखने लगते हैं, शांत रहना, अकेले गुमसुम रहना, किसी काम में मन न लगना, चिड़चिड़ापन, भूख नहीं लगना आदि इन तथ्यों के आधार पर बच्चों की समुचित निगरानी व्यवस्था सुनिश्चित की जाए। 


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