घने कोहरे से बचाने ट्रेनों में लगे हैं 1000 से अधिक फॉग सेफ डिवाइस… जानिए कैसे करता है काम

घने कोहरे से बचाने ट्रेनों में लगे हैं 1000 से अधिक फॉग सेफ डिवाइस… जानिए कैसे करता है काम

रायपुर। दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे भौगोलिक रूप से विषम क्षेत्रों में विस्तृत रेलवे है।  एक ओर जहां यह रेलवे  समतल मैदानी भाग से होकर यात्रियों को उनके गंतव्य तक ले जाती  है, तो वहीं दूसरी ओर घने वन से आच्छादित पहाड़ियाँ से होकर रेल लाइन गुजरती है। इन ऊंचाई वाले क्षेत्रों में सर्दियों के मौसम में घना कोहरा ट्रेन परिचालन को प्रभावित करता है।  हर साल, सर्दियों के महीनों में कोहरे के मौसम के दौरान, विशेष रूप से खोंगसरा तथा भनवारटंक स्टेशनों से उत्तरी हिस्सों में  बिलासपुर कटनी सेक्शन में बड़ी संख्या में ट्रेनें प्रभावित होती हैं। इस दौरान सुचारू रेल परिचालन सुनिश्चित करने के लिए, दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे ने कोहरे के मौसम के दौरान 1097 फॉग पास डिवाइस का बंदोबस्त किया है। यह पहल ट्रेन सेवाओं की विश्वसनीयता में सुधार, देरी को कम करने और समग्र यात्री सुरक्षा को बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

फॉग पास डिवाइस या फॉग सेफ डिवाइस एक जीपीएस आधारित नेविगेशन डिवाइस है, जो लोको पायलट को घने कोहरे की स्थिति में ट्रेन चलाने में मदद करता है। इस यंत्र में एक वायर वाला एंटीना होता है जिसे इंजन के बाहरी हिस्से में फिक्स कर दिया जाता है. यह एंटीना इस डिवाइस में सिग्नल को रिसीव करने के लिए लगाया जाता है। इसमें एक मेमोरी चिप लगी होती है जिसमें रेलवे का रूट फिक्स होता है. खास बात यह होती है कि इसमें रूट में पड़ने वाले लेवल क्रॉसिंग, जनरल क्रॉसिंग सिग्नल और रेलवे स्टेशन तक की जानकारी पहले से ही फीड होती है। यह लोको पायलटों को सिग्नल, लेवल क्रॉसिंग गेट (मानवयुक्त और मानव रहित), न्यूट्रल सेक्शन आदि जैसे निश्चित स्थलों के बारे में ऑन-बोर्ड वास्तविक समय की जानकारी (प्रदर्शन के साथ-साथ आवाज मार्गदर्शन) प्रदान करता है।

इस प्रणाली से भौगोलिक क्रम में आने वाले अगले तीन निश्चित स्थलों में से लगभग 500 मीटर तक ध्वनि संदेश के साथ-साथ अन्य संकेतक मिलते हैं।  दरअसल ट्रेनों का परिचालन सिग्नल प्रणाली के आधार पर किया जाता है ।  घने कोहरे के चलते सिग्नल दिखाई नहीं देता है। जिसकी वजह से ट्रेनों को चलाने में काफी परेशानी होती है।  ऐसे में घने कोहरे के दौरान ड्राइवर को सिग्नल ढूंढने में काफी परेशानी होती है और ट्रेनों को काफी कम गति से चलाना पड़ता था ताकि सिग्नल क्रास न हो सके. लेकिन फॉग सेफ डिवाइस के इजाद होने के बाद ट्रेन के चालकों को काफी सहूलियत मिलती है।  इस डिवाइस के माध्यम से लोको पायलट को न सिर्फ आगे आने वाले सिग्नल की जानकारी मिल जाती है बल्कि रास्ते में पड़ने वाले तमाम तरह के क्रॉसिंग और रेलवे स्टेशनों की भी जानकारी पहले ही मिल जाती है।

यह फॉग पास डिवाइस  या फॉग सेफ डिवाइस सभी प्रकार के अनुभागों जैसे सिंगल लाइन, डबल लाइन, विद्युतीकृत और गैर विद्युतीकृत अनुभागों के साथ ही यह सभी प्रकार के इलेक्ट्रिक और डीजल इंजनों, ईएमयू/एमईएमयू/डीईएमयू के लिए उपयुक्त है। इस डिवाइस में 18 घंटे के लिए बिल्ट-इन रीचार्जेबल बैटरी बैकअप है। यह पोर्टेबल, आकार में कॉम्पैक्ट, वजन में हल्का और मजबूत डिजाइन वाला है। फॉग सेफ डिवाइस एक बैटरी ऑपरेटेड यंत्र होता है जिसे ट्रेन के इंजन में रखा जाता है।  लोको पायलट अपनी ड्यूटी फिर से शुरू करने पर डिवाइस को अपने साथ आसानी से लोकोमोटिव तक ले जा सकता है। इसे लोकोमोटिव के कैब डेस्क पर आसानी से रखा जा सकता है। यह कोहरे, बारिश या धूप जैसी मौसमी स्थितियों से अप्रभावित रहता है । दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे इन फॉग सेफ डिवाइस की सहायता से सुरक्षित और संरक्षित रेल यात्रा को सुनिश्चित कर रही है।


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