-दीपक रंजन दास
विधानसभा चुनाव के दौरान केन्द्र ने चाहे जितनी भी दरियादिली दिखाई हो, पर हकीकत यही है कि योजनाओं के क्रियान्वयन में उसने इतने फच्चर डाल रखे हैं कि लाभ अंतिम व्यक्ति तक पहुंचता ही नहीं. तैयारी चांद पर जाने की है और ऑनलाइन के चक्कर में लोग चकरघिन्नी की तरह नाच रहे हैं. कभी पोर्टल खुलता नहीं तो कभी उसमें दर्ज की गई जानकारियां अपडेट ही नहीं होतीं. जीएसटी से लेकर स्कूल-कालेज के पोर्टल, सबका एक सा हाल है. आप आवेदन करते रहो, पोर्टल रिजेक्ट करता रहेगा और कोई कारण भी नहीं बताएगा. पकड़ो, किसका कॉलर पकड़ सकते हो. आलम यह है कि यह अपडेट नहीं होगा तो वह काम नहीं करेगा, पहले यह करो, फिर वह करो और जब तक वह न हो जाए तब तक भूखे मरो. कुछ ऐसा ही हाल मध्यान्ह भोजन का है. सर्दियां शुरू हो चुकी हैं. बाजार में सब्जियों की बहार आई हुई है. पर स्कूली बच्चों की मिड-डे थाली में पनियल दाल, आधा टुकड़ा बैंगन की सब्जी मिल रही है. वजह यह है कि केन्द्र ने जारी सत्र के लिए इस मद में एक भी रुपया अब तक जारी नहीं किया है. शर्त यह भी है कि जब तक केन्द्र अपना अंशदान नहीं करता, राज्य इस मद में कोई खर्च नहीं कर सकता. एक शर्त यह भी है कि पिछले सत्र में जारी की गई राशि का उपयोगिता प्रमाणपत्र जमा करने के बाद ही नए सत्र के लिए राशि जारी की जा सकती है. व्यवस्था सही है, ऐसा ही होना चाहिए. जब तक पिछला हिसाब साफ नहीं होता, नया बजट नहीं देना चाहिए. पर पिछला उपयोगिता प्रमाणपत्र लेने के लिए केंद्र ने जो पब्लिक फाइनेंस मैनेजमेंट पोर्टल बनाया है, वह रिपोर्ट लेने को तैयार नहीं. छत्तीसगढ़, आंध्रप्रदेश समेत कई राज्यों ने इस पोर्टल पर उपयोगिता प्रमाणपत्र अपलोड किया हुआ है पर वह अपडेट नहीं हो रहा है. इसकी जिम्मेदारी लेने के लिए भी कोई तैयार नहीं है. जब तक सरकार अपना खानापूर्ति करती रहेगी तब तक एक पूरा सत्र उधार में बीत जाएगा. जीएसटी लागू होने के बाद उधार लेने और देने की क्षमता भी बुरी तरह प्रभावित हुई है. अब तक तो किसी तरह स्व सहायता समूहों और राशन वालों की मदद से काम चल रहा है पर यही स्थिति रही तो जनवरी से योजना बंद हो जाएगी. छत्तीसगढ़ के लगभग 45 हजार स्कूलों में 30 लाख विद्यार्थियों को मिड-डे मील का लाभ मिलता है. इस योजना के चलते एक तरफ जहां स्कूल ड्रापआउट के आंकड़ों में सुधार हुआ है वहीं बड़ी संख्या में नौनिहालों का पोषण स्तर भी बेहतर हुआ है. दरअसल, इसी को कहते हैं घेर कर वध करना. अब जबकि राज्य में डबल इंजन की सरकार हो गई है तो आनन-फानन में बजट जारी हो जाएगा और मध्यान्ह भोजन की व्यवस्था सुधर जाएगी. लोगों को लगेगा कि पिछली सरकार बच्चों के राशन में भी घोटाला कर रही थी.
- Top 10 Toughest Exams: ये है दुनिया की 10 सबसे कठिन परीक्षाओं की लिस्ट, इसमें भारत के भी तीन एग्जाम, जानें
- कृषि स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों में 437 सीटें आबंटित,रिक्त सीटों पर प्रवेश हेतु स्पॉट काउंसलिंग 6 एवं 7 अगस्त को
- CUET Result 2024: सीयूईटी यूजी का रिजल्ट घोषित, नेशनल टेस्टिंग एजेंसी ने जारी किया परिणाम
- शिक्षा सप्ताह के अंतर्गत 26 जुलाई को होगी ‘शिक्षा में प्रौद्योगिकी उत्सव‘ का आयोजन
- हाई-हायर सेकण्डरी स्कूल की द्वितीय मुख्य परीक्षा 23 जुलाई से, प्रदेश में बनाए गए 227 परीक्षा केन्द्र